Friday 21 January 2011

शीलू कांड में एएसपी-जेलर समेत पांच निलंबित

दैनिक जागरण January 21, Friday , 2011 
 शीलू कांड में एएसपी-जेलर समेत पांच निलंबित
.लखनऊ, जागरण ब्यूरो मुख्यमंत्री मायावती ने बांदा के शीलू कांड में एएसपी लालाराम, अतर्रा के सीओ राजेन्द्र यादव, तत्कालीन कार्यवाहक थानाध्यक्ष अब्दुल जब्बार, विवेचक (आईओ) राधेश्याम शुक्ला और जेलर ज्ञान प्रकाश को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया। सभी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने बांदा के एसपी को क्लीन चिट दे दी है, जबकि उन पर भी कई गंभीर आरोप लगे थे। वहीं, उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शीलू और कानपुर के दिव्या कांड (दुराचार व हत्या का मामला) में डीजीपी व एडीजी (कानून-व्यवस्था) की भूमिका की जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष इसी मामले की हो रही सुनवाई के साथ जोड़े जाने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कालिदास मार्ग स्थित अपने आवास पर पत्रकारों को पांचों पुलिस अधिकारियों के निलंबन की जानकारी दी। सीबीसीआइडी के आरोप पत्र में राधेश्याम शुक्ल, अब्दुल जब्बार को विवेचना कार्य में विलंब व लापरवाही बरतने, सीओ राजेन्द्र यादव और एएसपी लालाराम को लापरवाही का दोषी करार दिया है। जेलर ज्ञानप्रकाश अधीनस्थों की शिकायतों पर ध्यान न देने पर नपे। उल्लेखनीय है कि जब्बार के निलंबन की घोषणा पहले भी की गई थी। भविष्य में शीलू और दिव्या (कानपुर में दुष्कर्म के बाद नाबालिग की मौत का प्रकरण) जैसे मामले फिर न हों, इसलिए मुख्यमंत्री ने विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) बृजलाल को वर्तमान स्थिति के आकलन के बाद अपनी संस्तुति शासन को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही सरकार ने अदालत से अनुरोध किया है कि शीलू कांड की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए।

विधायक पर ही चलेगा दुष्कर्म का केस
जागरण संवाददाता, बांदा शीलू दुराचार कांड का आरोपपत्र सीबीसीआइडी ने गुरुवार शाम 5:00 बजे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में दाखिल कर दिया। 48 पन्नों के आरोपपत्र में सिर्फ विधायक के खिलाफ ही दुष्कर्म का आरोप लगाया गया है। अन्य आरोपियों के खिलाफ छेड़छाड़ व मारपीट के आरोप हैं। आरोपों को पुष्ट करने के लिए साक्ष्य भी दिए गए हैं। हाईकोर्ट से कार्रवाई की रिपोर्ट तलब हो जाने से जांच एजेंसी ने 24 घंटे के अंदर ही रिकार्डो को खंगालकर व दोबारा पूछताछ कर आरोपपत्र तैयार किया। सीबीसीआइडी की लखनऊ व इलाहाबाद ब्यूरो की टीमें बुधवार को बांदा आ गई थीं। टीम ने कोर्ट का आदेश लेकर बुधवार की रात जेल में निरुद्ध नरैनी के बसपा विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी, रावण, राजेंद्र शुक्ला व सुरेश नेता से पूछताछ की। सुबह जांच टीम ने शहबाजपुर पहुंचकर शीलू से पूछताछ की। फिर शीलू, पिता अच्छेलाल व भाई संतू को लेकर अतर्रा स्थित विधायक आवास, तुर्रा पुल जहां कथित चोरी के बाद शीलू ठहरी थी, का स्थलीय निरीक्षण किया। इसके बाद सीबीसीआइडी के विवेचक विवेक कुमार भट्ट व अपर एसपी एसके सिंह ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी तृप्ता चौधरी की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। आरोप पत्र में दुराचार की धारा केवल विधायक पर ही लगाई गई है। जबकि अन्य चार नामजदों पर साजिश, मारपीट, छेड़छाड़ व अपराध में सहयोग की धाराएं लगाई गई हैं। इस मामले में सीबीसीआइडी ने बहुत तेजी से कार्य किया। शासन ने इस प्रकरण में जल्द पुख्ता कार्रवाई के लिए जांच एजेंसी को निर्देश दिए थे। 12 जनवरी को विधायक सहित पांच आरोपियों पर दुष्कर्म व छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया गया। आठ दिन में जांच एजेंसी ने अभियुक्तों से पूछताछ व साक्ष्य एकत्रित कर बुधवार को आरोपपत्र दाखिल कर दिया। कांग्रेस ने भी दिए दो लाख पीडि़त शीलू को समाजवादी पार्टी द्वारा तीन लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिये जाने के बाद गुरुवार को कांग्रेस की ओर से भी उसे दो लाख रुपये दिये गए। विधायक विवेक सिंह ने इस धनराशि का चेक शीलू को दिया।

सुप्रीम कोर्ट में उठी पीडि़ता को जेल भेजने की जांच की मांग
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली बांदा बलात्कार कांड की नाबालिग पीडि़ता को जेल भेजे जाने की घटना की जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। दो वकीलों इरुदया नाथन और संजय गौतम ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। शुक्रवार को इस पर सुप्रीम कोर्ट से शीघ्र सुनवाई की मांग की जाएगी। गत सोमवार को पुलिस सुधार मामले में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नाबालिग को जेल भेजे जाने की इस घटना की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल्वे से कहा था कि वे इस अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे। वकीलों की ओर से दाखिल याचिका में नाबालिग को जेल भेजने की घटना को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून का उल्लंघन बताया है। कहा गया है कि किशोर कानून के मुताबिक किशोरों से संबंधित मामलों की सुनवाई का अधिकार सिर्फ जुविनाइल जस्टिस बोर्ड को ही है। साधारण अदालतें आरोपी किशोर को हिरासत में नहीं भेज सकतीं। याचिका में नाबालिग लड़की को जुविनाइल बोर्ड के बजाय हिरासत में भेजे जाने की घटना की जांच कराये जाने की मांग की गई है। यही नहीं, पीडि़ता को अंतरिम मुआवजा दिलाये जाने और लड़की को धमकाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई है। याचिका में कोर्ट से ऐसे मामलों में दिशानिर्देश तय करने का भी अनुरोध किया गया है। बांदा में पिछले दिनों विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली नाबालिग लड़की को पुलिस ने चोरी के आरोप में जेल भेज दिया था। यह आरोप विधायक की ओर से लगाया गया था।
Kanpur Edition
विधायक पर ही चलेगा दुष्कर्म का मुकदमा
बांदा, जागरण टीम : शीलू दुराचार कांड की चार्जशीट सीबीसीआइडी ने गुरुवार शाम पांच बजे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में दाखिल कर दी है। आरोप पत्र में विधायक के खिलाफ दुराचार के भी साक्ष्य दिए हैं। इसके अलावा चार अन्य पर छेड़छाड़ व मारपीट का मामला है। इससे यह तय है कि विधायक पर ही दुष्कर्म का मुकदमा चलेगा। हाईकोर्ट से कार्रवाई रिपोर्ट तलब होने से जांच एजेंसी ने 24 घंटे में रिकार्ड खंगालकर व दोबारा पूछताछ कर आरोप पत्र तैयार कर लिया है। सीबीसीआइडी की लखनऊ व इलाहाबाद ब्यूरो की टीमें बुधवार को जनपद आ गयी थीं। कोर्ट का आदेश लेकर बुधवार रात नरैनी के बसपा विधायक पुरुषोत्तम द्विवेदी व जेल में बड्डद रावण, राजेंद्र शुक्ला व सुरेश से पूछताछ की। सुबह जांच टीम शहबाजपुर पहुंचकर शीलू से पूछताछ की, फिर शीलू, पिता अच्छेलाल व भाई संतू को लेकर अतर्रा स्थित विधायक आवास, तुर्रा पुल जहां कथित चोरी में शीलू ठहरी थी, का स्थलीय निरीक्षण किया। सीबीसीआइडी के विवेचक विवेक कुमार भट्ट व अपर एसपी एसके सिंह ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी तृप्ता चौधरी की अदालत में चार्जशीट के साथ 48 पृष्ठों का आरोप दाखिल किया। सीबीसीआइडी की एक टीम अदालत में अपराह्न ढाई बजे ही दाखिल हो गयी थी। पहले चैम्बर में जिला जज व अभियोजन अधिकारियों से आरोप पत्र के संबंध में चर्चा की। एक टीम ने डीआइजी से मुलाकात की। आरोप पत्र में विधायक के विरुद्ध आईपीसी की धारा 376, 147, 343, 354, 323, 504 और 506 लगायी गयी है। चार अन्य नामजद आरोपियों पर 376 छोड़कर अन्य धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया गया है। आठ दिन में दाखिल हो गयी चार्जशीट : शीलू के साथ बलात्कार के मामले में सीबीसीआईडी ने बेहद तेजी से कार्य किया है। 21 जनवरी को हाईकोर्ट में कार्रवाई देने के पहले ही शासन ने इस प्रकरण में पुख्ता कार्यवाही के लिए जांच एजेंसी को निर्देश दिये थे। 12 दिसंबर को विधायक सहित पांच आरोपियों पर दुष्कर्म व छेड़छाड़ का मुकदमा पंजीकृत किया गया था। आठ दिन के अंदर जांच एजेंसियों ने अभियुक्तों से पूछताछ कर 20 जनवरी को चार्ज सीट दाखिल कर दिया। सीबीसीआईडी के आरोप पत्र से यह स्पष्ट हो गया कि शीलू प्रकरण में जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही। अतर्रा थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी व विवेचना अधिकारी ने विधायक को बचाने के लिए ऐसा खेल किया कि शीलू को जेल की सीखचों के पीछे पहुंचना पड़ा।

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